प्यार का दूसरा नाम क्या है? | Love ka dusra naam kya hai
प्यार का दूसरा नाम त्याग और समर्पण है। प्यार अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इसके कई पर्याय हो सकते हैं. प्यार को बहुत से लोगो ने अनेक तरह से परिभाषित किया है. ढाई अक्षर का यह शब्द अपने कई दूसरे नामों से जाना जाता है. लोग इसे अपने हिसाब से इस्तेमाल करते हैं.
प्यार का क्या मतलब होता है यह वही जानता है जो सच्चा प्यार करता है.
प्यार को भले ही अलग – अलग भाषा में अलग – अलग नाम से जाना जाता है. जाहिर किया जाता है किंतु उसका मतलब केवल एक ही होता है. अपनी अच्छी भावना जाहिर करना.
अपनी अंदर की अच्छी भावनाओं को सामने वाले से प्रगट करना कोई भी व्यक्ति प्यार क्यों करता है. इसीलिए कि उसे अपनी बातें अपनी भावनाओं को किसी के साथ अपने दुख दर्द को बांट सके। इंसान की जिंदगी में भी प्यार नहीं है तो उसका जीवन बेरंग रहता है. एक प्यार ही है जिसके अनंत नाम और मतलब केवल एक है और मकसद भी एक ही है.
प्यार के नाम तो अनेक किंतु जब बात आएगी प्यार का दूसरा नाम क्या है तो बात अलग हो जाती है. इसमें हमें वही चीज चुननी होती है जो असल प्यार के मतलब से जुड़ी है. यदि आपको प्यार का दूसरा नाम नहीं पता है. तो आज हम इस आर्टिकल में प्यार से जुड़े सारे पहलुओं को आपके साथ शेयर करुगा. प्यार का सही मतलब प्यार का दूसरा नाम क्या होता है यह सारी सवालों का जवाब यदि आपको जानना है तो आर्टिकल में बने रहें चलिए शुरू करते है.

प्यार का दूसरा नाम यदि हमें जानना है तो सबसे पहले हमें यह समझना पड़ेगा कि वास्तव में प्यार क्या होता है. जब हम यह जान लेंगे कि प्यार का सही मतलब क्या है. तो हमें यह भी समझ आ जाएगा कि प्यार का दूसरा मतलब क्या होता है.
प्यार क्या है?
प्यार शब्द एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर ही हमारे मन में शरीर में एक अलग ही ऊर्जा जागृत होती है। प्यार हमें सकारात्मक और अच्छा महसूस कराने का एक जरिया है.
इसमें एहसास छिपा है जिसे हम कभी भी अपनों से दूर नहीं जाने देना चाहते एक बार प्यार हो जाने के बाद जल्दी से इस को भुलाया नहीं जाता। प्यार करना आसान है किंतु से निभाना बहुत ही कठिन होता है.
अलग-अलग भाषाओं में अलग नाम से प्यार, मोहब्बत, इश्क, प्रेम, लव ऐसे कितने ही नाम है. जो प्यार का पर्याय बने हुए हैं, किंतु नाम से मतलब नही होता. यह होता क्यों है किया किस लिए जाता है यह मायने रखता है. प्यार से हासिल क्या होता है. इसका आधार क्या है, लोग प्यार में क्यों आते हैं. सही मतलब को समझना चाहिए.
प्यार का अर्थ क्या होता है?
प्यार एक ऐसी चीज है जिस का सही मतलब वही जानते हैं जो सही मायने में सच्चा प्यार करते हैं। आजकल के जमाने में सच्चे प्यार देखने को कम ही मिलते हैं।
लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था, पहले के लोग वाक़ई में प्यार करना जानते थे। आप कोई भी पहले के प्रेमी – प्रेमिका जोड़ी को देख लो, हमेशा आपको समर्पण, त्याग जैसे भावना देखने को मिलेगी। प्यार का सही मतलब यदि अगर कहा जाए तो यह एक एहसास होता है जो दिल से किया जाता है। दिमाग से प्यार करना संभव ही नहीं अगर प्यार दिमाग से किया जाएगा तो वह कभी भी सच्चा प्यार नहीं कर पाएगा.
प्यार का मतलब होता है कि हम जिस से प्यार कर रहे हैं उसके प्रति हमरी सोच, हमारा नजरिया, हमारा विश्वास, हमारी नियत सभी सकारात्मक होनी चाहिए प्यार आजादी का नाम है. प्यार में पाबंदियां नहीं होती। प्यार में धोखा और शंका का कोई स्थान नहीं होता। प्यार में विश्वास और फिक्र ही सबसे बड़ी होती है.
प्यार कैसा होता है?
प्यार ना तो दिखाई देता है और ना ही सुनाई देता है. प्यार एक एहसास होता है. जिसका अनुभव किया जाता है. प्यार पारदर्शी होता है. उसमें छपाने जैसा कुछ नहीं होता। प्यार में कपट और छल केवल धोखे की निशानी होते हैं. सच्चा प्यार हमेशा दिल से होता है। प्यार करने वाला कभी अपने प्रेमी को दुखी नहीं देख सकता. वह अपने प्रेमी को खुश करने के लिए प्राण भी निछावर करने को तैयार रहता है.
विपत्ति बाधाओं को अपने प्रेमी के पास तक फटकने नहीं देता। सदैव ढाल बनकर खड़ा रहता है. प्यार अटूट होता है एक बार हो जाए किसी से तो फिर दुनिया एक तरफ हो जाती है. किंतु प्रेमियों को कोई अलग नहीं कर पाता. प्यार में अटूट श्रद्धा और विश्वास होती है. सच्चे प्रेमी हमेशा एक दूसरे के प्रति मर मिटने को भी तैयार रहते हैं. कड़ी से कड़ी परीक्षा देने के लिए भी तैयार रहते हैं. प्यार एक दूसरे की कद्र करना सीखता है.
दूसरे सब्दो में प्यार को क्या कहते हैं?
प्यार जिसको फारसी में इश्क बोला जाता है उर्दू में मोहब्बत, अरबी में हबीब, अंग्रेजी में love और चीन इटली वाले का अनुवाद मुश्किल है. परंतु जब बात आती है हिंदी की तो एक डिक्सनरी भी कम पड़ जाए. इतने पर्याय है हिंदी भाषा में प्यार को स्नेह, प्रेम, करुण, अरुण, लगाव, चाहत, लगन, चाह, दुलार, दीवानगी, समर्पण, अनुराग, वात्सल्य, एहसास, प्रीत जैसे बहुत से नाम इस्तेमाल किये जाते हैं. इन सारे शब्द का एक ही मतलब होता है.
सचमुच ये जानकारी काफ़ी लोगों को पता नहीं होगी।
प्यार का दूसरा नाम क्या होता है?
प्यार को हमेशा प्रेम से जोड़ा जाता है, जो एक स्त्री और पुरुष के बीच शुरू होता है. इस लिए हम कह सकते हैं कि प्यार का दूसरा नाम है साथ कभी न छूटने वाला साथ. कोई व्यक्ति प्यार इसीलिए करता है कि उसे जीवन मे किसी का साथ मिल सके. जिससे वह अपने मन की बात कर सके अपनी भावनाओं को दुख दर्द को बांट सके और प्यार ही वह चीज है जिसे करने से किसी का साथ मिलता है.
लोग स्वतंत्रत, आजाद रहना, विश्वास, भरोसा, फिक्र, नजदीकी, मित्रता, रिस्ते, और न जाने कितनी संज्ञाओं को प्यार का दूसरा नाम देते हैं. किंतु सारी चीजें साथ जुड़ने के बाद ही शुरू होती है. जब तक साथ नही होगा तब तक ये सारी बाते पैदा ही नही होंगी. इसलिए यहा प्यार का दूसरा नाम साथ को रखा गया है .प्यार का मतलब इंसान अपनी भावनाओं अपनी अंदर की बात को और दिल मे जो कुछ हो उसे जाहिर करना चाहता है.
इसके लिए उसको किसी साथी की जरूरत होती है. यदि वह साथ जरूरत स्त्री पूरा करे तो उसे इंसान का प्यार ही कहते हैं. प्यार हमेशा दो लोगों के बीच होता है. एक व्यक्ति अपना प्यार जाहिर करने के लिए दूसरे व्यक्ति से जुड़ता है, प्यार करने के लिए किसी का साथ चाहिए.
मोहब्बत क्या है?
मोहब्बत भी प्यार का पर्याय है मोहब्बत उर्दू शब्द है. जिसका हिंदी अनुवाद प्यार से जोड़ा जाता है. उर्दू का या शब्द आशिकी भी ज्यादा फेमस है. ज्यादातर प्रेमी अपने प्यार को मोहब्बत का ही नाम देते हैं.
मोहब्बत का दूसरा नाम का दूसरा नाम श्रद्धा होता है मोहब्बत दिल का प्यारा एहसास होता है. जिस तरह ताले को चाबी की जरूरत होती है. उसी तरह इंसान को भी मोहब्बत की जरूरत होती है. प्यार मोहब्बत में कोई अंतर नहीं यह सब एक दूसरे के पर्याय हैं. लोग अपनी भावनाओं को जाहिर करने के लिए तो कोई भी नाम दे सकते हैं.
प्रेम क्या है?
किसी से अपनी भावनाओं को किसी व्यक्ति से स्नेह पूर्वक प्रस्तुत करने की नाम को प्रेम की संज्ञा दी जाती है. प्रेम दिलों को दिलों से जोड़ने का काम करता है. प्रेम में व्यक्ति अपनी भावनाओं से दूसरे को आकर्षित करता है जोड़ता है.प्रेम आकर्षण है, जो ना तो उम्र देखता है, और ना जाति मजहब.
प्यार और प्रेम में क्या अंतर है?
प्यार और प्रेम में कोई विशेष अंतर नहीं है प्यार यदि पहला पड़ाव है तो प्रेम उसका दूसरा पड़ाव है. प्यार वह होता है जो शादी से पहले युवक – युवती ने आपस में पहली मुलाकात से जोड़ते हैं. प्यार कच्चा धागा होता है जिसके टूटने की चान्स बना रहता हैं , किंतु प्रेम अटूट होता है.
और यह पक्के धागे जैसा होता है.जिसके टूटने या बिखरने की संभावनाएं बहुत कम रहती है. प्रेम में यदि हम शारीरिक भूख रखेंगे तो प्रेम प्यार में तब्दील हो जाता है.और इसके कमजोर होने की नौबत आ जाती है. लेकिन प्यार को यदि हम शारीरिक कर दे तो वह प्रेम में तब्दील हो जाता है. बस यही अंतर आप समझ सकते हैं प्यार और प्रेम में कम शब्दों में.
निष्कर्ष
हमें उम्मीद है कि आप हो यह आर्टिकल प्यार का दूसरा नाम क्या है पढ़कर अच्छा लगा होगा। प्यार के बारे में आपको प्यारी सी जानकारी अगर अच्छी लगी है तो इसे आप भी समझिए और दूसरों को भी समझाइए प्यार का सही मतलब।
यदि कोई जानता है तो उसका जीवन कभी किसी दुख तृष्णा में नहीं फंसता वह व्यक्ति हमेशा खुश ही रहता है। जो प्यार करना जानता है वो इस बात को अच्छे तरीक़े से समझता है। प्यार के आर्टिकल का उद्देश्य केवल प्यार की बारीकियों को समझाना है.