हत्या, हिंसा, अपहरण, चीरहरण के वीडियो कुछ न्यूज़ चैनल पर चले लेकिन नगण्य कवरेज हुआ – Ravish Kumar
कल पूरे दिन उत्तर प्रदेश से ब्लॉक प्रमुख चुनाव से जुड़े तमाम वीडियो वायरल होते रहे। हत्या, हिंसा, अपहरण, चीरहरण के वीडियो कुछ न्यूज़ चैनल पर चले लेकिन जितना वीडियो उपलब्ध था उसके अनुपात में नगण्य कवरेज हुआ। इन वीडियो को सेंसर किया गया। यहाँ तक कि जिन चैनलों के पत्रकारों को मारा गया वो भी अपने पत्रकार के लिए नहीं लड़े। उन ख़बरों को या तो नहीं चलाया या हल्का कर दिया।
वरिस्ट पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर कुछ फोटो और अख़बार की कटिग डालते हुवे लिखा कि यह अमर उजाला अख़बार की दो तीन क्लिप हैं। यूपी का बड़ा अख़बार है। इसके पास हर ज़िले में नेटवर्क है फिर भी इस अख़बार में ब्लॉक प्रमुख से जुड़ी ख़बरों को संशोधित और संक्षिप्त कर छापा गया है। एक पाठक के रूप में जब आप इसे सुबह पढ़ेंगे तो जान ही नहीं पाएँगे कि इतने बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है। इस तरह से मीडिया लोकतंत्र की हत्या के प्रोजेक्ट में शामिल है। चूँकि उसकी कमाई पाठक के बीच मौजूद साख से होती है इसलिए दो चार ख़बरों को छाप देता है वो भी भीतर के पन्नों पर। विपक्ष की ख़बरें तो भीतर के पन्नों पर छिपा कर छापी जाती हैं।

उन्होंने ये भी कहा कि आज अमर उजाला ने ब्लैक प्रमुख के चुनाव में हुई हिंसा की ख़बरों को पहले पन्ने पर कम अहमियत दी है। न के बराबर। जबकि यह अख़बार तमाम ज़िलों में हुई घटना को एक जगह चार पन्नों में छापता तो एक पाठक के रूप में आप देख पाते कि यूपी में किस स्केल पर हिंसा हुई है। हिन्दी प्रदेश को अभिशप्त प्रदेश में बनाने में हिन्दी के इन अख़बारों की अहम भूमिका है। जागरण और हिन्दुस्तान का हाल तो आप जानते ही हैं। किसी भी अख़बार को उठा कर देखिए सवाल करने वाली ख़बरों को कितने हल्के में छापा जाता है। यह अख़बार अच्छा अख़बार था। आज कल इसे पढ़ रहा हूँ ।
रवीश कुमार लिखते है कि एक डरा हुआ अख़बार लगता है। इस अख़बार ने हर ज़िले में एक संपादक बनाए हैं। उन सभी को अपना अख़बार लेकर देखना चाहिए। अकेले में अपने रिपोर्टर के साथ ऑफ रिकार्ड चर्चा करनी चाहिए कि क्या उतना ही छपा है जितनी ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में हिंसा हुई है? इन ख़बरों की जो हेडिंग लगाई गई है वह कितनी बच बचा कर लगाई गई है। एक दो अभियानी ख़बर से पत्रकारिता नहीं होती है। हिन्दी प्रदेश के नौजवानों तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता। कहीं लिख कर अपने पर्स में रख लो।
Videos of Murder, Violence, Kidnapping, Cheer Haran played on some news channels but had negligible coverage – Ravish Kumar