Tyagi Caste | त्यागी गोत्र लिस्ट- कौन होते हैं त्यागी? भूमिहारों से कैसे है जुड़ाव, जानिए क्या है इतिहास..
Tyagi Caste क्या है, यहाँ आप त्यागी जाति के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे। इस लेख में आपको Tyagi Caste के बारे में हिंदी में जानकारी मिलेंगी। Tyagi क्या है? इसकी कैटेगरी, धर्म, जनजाति की जनसँख्या और रोचक इतिहास के बारे में जानकारी पढ़ने को मिलेगी आपको इस लेख में। अगर बात करें Tyagi की तो Tyagi Caste कौनसी कैटेगरी में आती है? Tyagi Caste के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए पोस्ट को पूरा पढ़ें। तो आओ शुरू करतें है Tyagi Caste के बारे में :-
Table of Contents
कौन होते हैं त्यागी?
त्यागी समाज भूमिहार जाति से जुड़ा हुआ है? इस सवाल का जवाब जब आप ढूंढ़ने जाएंगे तो कई प्रकार की भ्रांतियां आपको सुनने को मिलेंगी। भूमिहारों के इतिहास के आइने में देखेंगे तो पाएंगे कि त्यागी समाज भी इसी जाति से जुड़ा हुआ है। हालांकि, भूमिहार जाति व्यवस्था में नाम के आगे लगाए जाने वाले सरनेम पर ध्यान देंगे तो आपको कई बार कन्फ्यूजन जैसी स्थिति होगी। भूमिहार जाति के शब्दों को अगर देखें तो यह दो शब्दों से जुड़कर बना है- भूमि और हार। यानी भूमि का हार रखने वाले। यह जाति मूल रूप से खेती से जुड़ी हुई है। किंवदंतियों को आधार मानें तो भगवान परशुराम ने क्षत्रियों को पराजित कर जो जमीन हासिल की थी, उसे ब्राह्मणों को दे दी। इन ब्राह्मणों ने पूजा-पाठ का कार्य छोड़ कर खेती शुरू कर दी। उन्होंने युद्ध में भी खुद को मांजा। इसी जाति वर्ग से त्यागी समाज की उत्पत्ति हुई। भूमिहार वर्ग हिंदू धर्म में सवर्ण किसान के रूप में पहचाना जाता है।
जाति का नाम | त्यागी (Tyagi) |
Tyagi की कैटेगरी | जरनल |
Tyagi का धर्म | हिन्दू और इस्लाम धर्म |
किस चैत्र में जयादा निवास
त्यागी समाज के लोग मूल रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं। इसके अलावा दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के भी कुछ हिस्सों में त्यागी समाज के लोग पाए जाते हैं। बनारस का राजघराना विभूति साम्राज्य यानी काशी नरेश भी त्यागी समाज से जुड़े रहे हैं। इसके अलावा ईरान, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान के हिस्से में भी प्राचीन काल में त्यागी समाज के मोहयाल शाखा के राजाओं का इतिहास रहा है। अफगानिस्तान के शाही मोहयाल साम्राज्य ने सबसे पहले अरबों को युद्ध में धूल चटाई थी। इसके बाद 300 सालों तक अरब अखंड भारत की तरफ नजर भी नहीं उठा पाए थे। कुछ लोग त्यागी समाज को पंजाबी भी बताते हैं। हालांकि, इस प्रकार का कोई मामला सामने नहीं आया है।
त्यागी जाति की उत्पत्ति – Tyagi Caste
कई विद्वानों का मानना है कि अंग्रेजों और मुगलों के समय में भूमिहारों को सैन्य सेना में प्रमुखता से भर्ती किया गया था। बदले में भूमिहारों को अपार संपत्ति मिली। चूँकि दिल्ली के आसपास रहने वाली त्यागी जाति भी खुद को परशुराम का शिष्य मानती है, इसलिए भूमिहार भी त्यागियों को अपनी ही जाति का मानते हैं।
त्यागी जाति की कैटेगरी
Tyagi Caste– त्यागी के वंशज यानी ब्राह्मण आदि यानी अयाचक ब्राह्मण पूरे भारत में अलग-अलग उपनामों से जाने जाते हैं जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बंगाल, जम्मू कश्मीर, पंजाब और ब्राह्मणों में त्यागी। हरियाणा के कुछ हिस्से मध्य प्रदेश और राजस्थान में महियाल, गुजरात में अनाविल, महाराष्ट्र में चितपावन और कर्वे, कर्नाटक में अयंगर और हेगड़े, केरल में नंबूदरीपाद, तमिलनाडु में अयंगर और अय्यर, आंध्र प्रदेश में नियोगी और राव आदि।
त्यागी जाति के बारे में जानिए
देश को अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने में देश के महान स्वतंत्रता सेनानी महावीर त्यागी का बेहद अहम योगदान रहा है। वह देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेल में रहे हैं।
अदम्य साहस वीरता व शौर्य की प्रतिमूर्ति अमर शहीद मेजर आसाराम त्यागी
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद के मोदीनगर तहसील के फतेहपुर गांव में रहने वाले सागुवा सिंह त्यागी के यहाँ 2 जनवरी 1939 को मेजर आसाराम त्यागी का जन्म हुआ। बचपन से ही वह बहुत चुस्त-दुरुस्त, तेजतर्रार व फुर्तीले थे,
जब मेजर आसाराम त्यागी को डोगरई फतेह का जिम्मा मिला, और उनकी 3 जाट बटालियन को पाकिस्तान के डोगरई गांव में दुश्मन की स्थिति पर कब्जा करने का कार्य दिया गया। उस समय की परिस्थितियों के अनुसार सामरिक दृष्टि से यह चुनौती बहुत बड़ी व महत्वपूर्ण थी क्योंकि इस स्थल पर दुश्मन अच्छी पोजीशन में था। इसके बावजूद मेजर आसाराम त्यागी ने आगे बढ़कर इस चुनौती को सहर्ष स्वीकार किया और अपने दल के साथ निडरता के साथ लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ चले। उन्होंने पाकिस्तान के डोगरई मोर्चे पर फतह हासिल करने के लिए अपने प्राण माँ भारती के श्री चरणों में अर्पित कर भारतीय सेना को जंग के इस मोर्चे पर विजय दिलाई थी।
महाभारत काल से भी जुड़ा है त्यागी समाज का इतिहास
त्यागी समाज का इतिहास महाभारत काल से ही एक जुझारू समाज के रूप में सामने आता है। महाभारत काल में यह समाज मेहनत करने वाला और शक्तिशाली माना जाता रहा है। महाभारत में पांडवों को शरण देने वाला कांपिल्य नगर भी त्यागियों का गांव था। कांपिल्य नगर महाभारत के समय में पंचाल जनपद की राजधानी थी। इसके राजा द्रुपद थे। प्राचीन काल का पंचाल जनपद गंगा नदी के दोनों तरफ फैला हुआ था। यजुर्वेद के तैत्तरीय संहिता में इस नगरी का जिक्र कंपिला के रूप में मिलता है। द्रुपद से आचार्य द्रोण ने युद्ध में यह साम्राज्य छीन लिया था। उसी समय से यह इलाका त्यागियों के प्रभुत्व वाले क्षेत्र के रूप में रहा है।
पश्चिमी यूपी में रही है त्यागियों की जमींदारी
आपको बता दे कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में त्यागी समाज के लोगों की बड़ी जमींदारी रही है। जमींदारों ने अपने रियासत भी बनाइ थी। वहां उन्होंने अन्य तमाम जातियों को संरक्षण और संवर्द्धन दिया। इस इलाके में बावनी गांवों का अपना अलग इतिहास रहा है। कहा जाता है कि त्यागी समाज के लोग 52 हजार बीघे की रियासत पर अधिकार रखते थे। इन 52 हजार बीघे के गांवों को बावनी गांव के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा तालहैटा, निवाड़ी, असौड़ा रियासत, रतनगढ़, हसनपुर दरबार दिल्ली, बेतिया रियासत, राजा क ताजपुर, बनारस राजपाठ, टेकारी रियासत जैसे प्रमुख रियासत रहे हैं। इससे साबित होता है कि त्यागी समाज भी भूमिहार जाति वर्ग से जुड़ा हुआ है।
त्यागियों की रियासत
- तलहैटा
- निवाड़ी
- असौड़ा रियासत
- रतनगढ़
- हसनपुर दरबार दिल्ली
- बेतिया रियासत
- राजा का ताजपुर
- बनारस राजप
- टेकारी रियासत
मुसलमान और एससी भी त्यागी
आपको मालूम होगा कि त्यागी सरनेम की बात की जाए तो मुसलमान और एससी जातियों में भी यह वर्ग पाया जाता है। त्यागी से कन्वर्टेड मुसलमान पश्चिमी यूपी के कई इलाकों में अपने नाम के आगे त्यागी लिखते हैं। वहीं, पूर्वांचल के कुछ इलाकों में एससी का एक तबका अपना सरनेम भी त्यागी लगाता है।
हालांकि, इनका पश्चिमी यूपी के त्यागी समाज से कोई कनेक्शन नहीं है। पिछले दिनों वसीम रिजवी के धर्म परिवर्तन के बाद वसीम रिजवी दुवारा खुद को त्यागी बताए जाने का मामला सामने आया है। उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार करने के बाद अपना नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी लिखना शुरू कर दिया है।
सरनेम का अपना अलग ही इतिहास
आपको बता दे कि भूमिहारों में सरनेम का अपना अलग ही एक इतिहास है। हालांकि, त्यागी समाज के लोग अपने नाम के आगे त्यागी ही लगाते हैं। वैसे भूमिहार जाति के प्रभुत्व की बात करें तो बिहार में इनकी बहुलता सबसे अधिक है। यहां ये हर मंडल में अलग-अलग टाइटल के साथ मिल जाएंगे। मगध प्रमंडल में भूमिहार वर्ग अपने नाम के साथ सिंह और शर्मा सरनेम मुख्य रूप से लगाते हैं। वहीं, मुंगेर प्रमंडल से बेगूसराय तक नाम के आगे सिंह सरनेम लगाया जाता है। समस्तीपुर के इलाके में अमूमन यह वर्ग सिंह, ठाकुर, राय और चौधरी टाइटल लगाता है। दरभंगा में मिश्रा, छपरा में सिंह एवं कुंवर, शाहाबाद मंडल में तिवारी, कुंवर एवं मिश्रा और तिरहुत एवं मुजफ्फरपुर में ठाकुर, सिंह, सिन्हा, शुक्ला और शाही जैसे टाइटल यह वर्ग लगाता है। इसके अलावा भागलपुर-पूर्णियां इलाके में सिंह, शर्मा, तिवारी, मिश्रा आदि सरनेम लगाया जाता है।
यूपी की बात करें तो यहां भी कई सरनेम दिख जाएंगे। पूर्वांचल के जिलों में भूमिहार जाति के लोग राय, सिन्हा, शर्मा, शाही, पांडेय, प्रधान, उपाध्याय जैसे टाइटल लगाते हैं। यहां यह जाति प्रमुख रूप से गोरखपुर, गाजीपुर, वाराणसी, संत कबीर नगर, मऊ, बलिया, देवरिया, कुशीनगर, प्रयागराज, आजमगढ़ आदि जिलों में पाई जाती है। पश्चिमी यूपी में मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बागपत, नोएडा, अमरोहा, बिजनौर आदि इलाकों में यह जाति पाई जाती है। यहां मुख्य रूप से त्यागी सरनेम लगाते हैं।
त्यागी समाज में लगाए जाने वाले सरनेम
- त्यागी
- सिंह
- भूमिहार
- शाही
- ठाकुर
- राय
- चौधरी
- मिश्रा
- सिंह
- कुंवर
- तिवारी
- सिन्हा
- शुक्ला
- पांडेय
- प्रधान
- उपाध्याय
यूपी में किन जिलों में करते त्यागी सबसे ज्यादा निवास
- गोरखपुर
- गाजीपुर
- वाराणसी
- संत कबीर नगर
- मऊ
- बलिया
- देवरिया
- कुशीनगर
- प्रयागराज
- आजमगढ़
- मेरठ
- गाजियाबाद
- हापुड़
- बुलंदशहर
- मुजफ्फरनगर
- सहारनपुर
- बागपत
- नोएडा
- अमरोहा
- बिजनौर
राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय रहते हैं भूमिहार
राजनीतिक रूप से भूमिहार वर्ग काफी सक्रिय रहा है। बिहार की राजनीति में इस वर्ग की काफी दखल है। वर्ष 1911 की जातीय जनगणना के आधार पर बिहार में भूमिहारों की आबादी कुल आबादी का करीब 5 फीसदी थी। हालांकि, बाद के समय में इस वर्ग की आबादी लगभग उतनी ही रही। अन्य जातियों की आबादी बढ़ने के कारण उनकी जनसंख्या का अंतर होता गया। एक अनुमान के मुताबिक बिहार की आबादी में करीब 3 से 4 फीसदी भूमिहारों की आबादी है।
वहीं, यूपी में यह वर्ग छोटे-छोटे पॉकेट में उत्तरांचल और पश्चिमी यूपी में दिखता है। देश की आबादी में यह वर्ग 1 फीसदी से भी कम है। इसके बाद भी जमीन पर दबदबे के कारण यह वर्ग अपने साथ कई अन्य जातियों को साथ लेकर चलता है और वह राजनीतिक रसूख दिखाता रहता है।
भूमिहार ब्राह्मणों के कुछ महत्वपूर्ण गोत्र
कश्यप | जैथरिया, किनवर, बरुआर, दंस्वर कुधुनिया, नोनहुलिया, तातिहा, कोल्हा, करेमुआ, भाडे चौधरी, त्रिफला पांडे, परहपे, सहस्नाम, दीक्षित, जुझौटिया, बबंदिहा, मौर, दधीरे, मरे, सिरीयर, धौरी और भूपाली आदि। |
पराशर | एक्सारिया, सहदौलिया, सुरगने और हस्तगामे |
वसिता | कस्तुआर, दरवालिया और मरजानी मिश्रा |
संडिलया | दिघवैत, कुसुम तिवारी, कोरंच, नैनजोरा, रमियापांडे, चिक्सौरिया, करमाहे, ब्रह्मपुरिया, सिहोगिया आदि गर्ग- शुक्ल, बासमैत, नागवा शुकला और गर्ग |
भारद्वाज | दुमतीकर, जठरवार, हेरापुरीपांडे, बेलौंचे, अंबरीया, चकवार, सोनपखरेया, मचैयापांडे, मनाछेया, सोनेवर, सिएनी |
अगस्त | अगस्त |
कौसा | कौसा |
उपमन्यु | उपमन्यु |
कण्व | कणव या काणव |
मौदगल्या | मौदगल्या |
लौगाछी | लौगाची |
तांड्या | तांड्या |
कपिल | कपिल |
मौनस | मौनस |
कौंडिन्य | आथर्व (अथर्ववेदी) बिजुलपुरिया |
आत्रेय | मैरेयपांडे, पुले, एनरवार |
विष्णुवृद्ध | कुथवैत |
कात्यायन | वद्रकामिश्र, लमगोदेयतेवारी, श्रीकांतपुर के पांडे |
कौशिक | कुसौंझीया, टेकर के पाण्डेय, नेकतीवार |
संकरी | सकरवार, मलैयापांडे, फतुहवादिमिश |
सवर्ण्य | पंचोभे, सोबरनेया, टेकरापांडे, आरापे, बेमुआर |
वत्स | दोनवार, गणमिश्रा, सोनभद्रेय, बगुचेया, जे अलेवर, संसारिया, हाथौरेया, गंगटिकाई |
गौतम | पिपरामिश्रा, गोतमेय, दत्त्यायन, वात्स्यायन, करमैसुरौर, बदरमिया |
भार्गव | भृगु, आश्रेय्या और कोठा भारद्वाज और भारद्वाज (भृगु, भार्गव और कश्यप एक ही हैं, क्योंकि उनके मूल ऋषि में समानता है) |
हम उम्मीद करते है की आपको Tyagi Caste के बारे में सारी जानकारी हिंदी में मिल गयी होगी, हमने Tyagi Caste के बारे में पूरी जानकारी दी है और त्यागी जाति का इतिहास और त्यागी जाति की जनसँख्या के बारे में भी आपको जानकारी दी है।
Tyagi Caste की जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी, अगर आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो हमे कमेंट में बता सकते है। धन्यवाद – आपका दिन शुभ हो।
महत्वपूर्ण सवाल जवाब
Tyagi कौन सी कास्ट में आते हैं?
त्यागी पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में पायी जाने वाली एक जमींदार ब्राह्मण जाति है।
भूमिहार जाति का इतिहास क्या है?
भूमिहार एक भारतीय जाति है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तथा थोड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों में निवास करती है। भूमिहार का अर्थ होता है “भूमिपति” , “भूमिवाला” या भूमि से आहार अर्जित करने वाला (कृषक) । भूमिहार जाति के लोग ब्राह्मण होने का दावा करते हैं, और उन्हें भूमिहार ब्राह्मण भी कहा जाता है।
भूमिहार में कौन कौन से गोत्र होते हैं?
भूमिहार ब्राह्मणों में कुछ महत्वपूर्ण गोत्र तथा किस्म हैं: गौतम – पिपरामिश्र, गोतामीया, दात्त्यायण, वात्सयायन, करमैसुरौरे, बद्रामिया.
भूमिहार और ब्राह्मण में क्या फर्क है?
ब्राह्मण और भूमिहार में अंतर इतिहासकार लिखते हैं, जो ब्राह्मण बौद्ध काल में बौद्ध हो गए थे या उनका प्रभाव उस पर पड़ गया था उनके लिए बाभन शब्द का प्रयोग होता है। बाभन शब्द ब्राह्मण का अपभ्रंश जान पड़ता है यह शब्द भूमिहार शब्द से प्राचीन है।
त्यागी भूमिहार कौन है?
उन्हें अक्सर कृषि योग्य जातियों में सर्वोच्च माना जाता है । ब्रिटिश राज के दौरान, उन्होंने अपना नाम तगा से त्यागी में बदल दिया, और ब्राह्मण की स्थिति का दावा करना शुरू कर दिया। 1931 में, उन्हें जाटों और भूमिहारों के साथ-साथ ब्राह्मणों के बजाय खेती करने वाली मध्यम जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
त्यागी समाज क्या है?
किंवदंतियों को आधार मानें तो भगवान परशुराम ने क्षत्रियों को पराजित कर जो जमीन हासिल की थी, उसे ब्राह्मणों को दे दी। इन ब्राह्मणों ने पूजा-पाठ का कार्य छोड़ कर खेती शुरू कर दी। उन्होंने युद्ध में भी खुद को मांजा। इसी जाति वर्ग से त्यागी समाज की उत्पत्ति हुई।
भूमिहार कितने प्रकार के होते हैं?
भूमिहार ब्राह्मणों में से कुछ महत्वपूर्ण गोत्र हैं: 1. कश्यप-जिथारिया, किंवर, बरुआर, दंस्वर कुधुनिया, नॉनहुलिया, तातिहा, कोल्हा, करेमुआ, भाडे चौधरी, त्रिफला पांडे, परहपे, सहस्नाम, दीक्षित, जुझौटिया, बबंदिहा, मौर के रूप में जाने जाते हैं। , दधीरे, मरे, सिरियर, धौलोनी, डुमराईट और भूपाली आदि।
भूमिहार के वंशज कौन है?
भूमिहारों के उत्पत्ति का पहला सिद्धांत
इन्हें भूमिहार ब्राह्मण, बाभन, अयाचक कहा जाने लगा। भूमिहार ब्राह्मण, भगवान परशुराम को प्राचीन समय से अपना मूल पुरुष और कुल गुरु मानते है। भूमिहार ब्राह्मण कुछ जगह प्राचीन समय से पुरोहिती करते चले आ रहे है अनुसंधान करने पर पता लगा कि प्रयाग की त्रिवेणी के सभी पंडे भूमिहार हैं।
भूमिहार के पूर्वज कौन थे?
“भूमिहार अर्थात अयाचक ब्राह्मण एक ऐसी सवर्ण जाति जो अपने शौर्य, पराक्रम एवं बुद्धिमत्ता के लिये जानी जाती है। इसका गढ़ बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश है| पश्चिचमी उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा में निवास करने वाले भूमिहार जाति अर्थात अयाचक ब्राह्मणों को त्यागी नाम की उप-जाति से जाना व पहचाना जाता हैं।
Follow Us On Google News | Click Here |
Facebook Page | Click Here |
Youtube Channel | Click Here |
Click Here | |
Website | Click Here |
- Hindi News से जुड़े ताजा अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करें।
- Web Title: Tyagi Caste | Tyagi Gotra List – Who are Tyagi? How is the connection with Bhumihars, know what is the history