कह दे तू दिल की बात । रचनाकार-हिमांशु पाठक
कह दे तू दिल की बात
जो बात दिल में है तेरे,कह दे तू आज और अभी।
मौका भी और दस्तूर भी,और वो महफिल में पास भी।
जो बात दिल में है तेरे, कह दे तू आज और अभी।
कल पर ना टाल आज को, कह दे तू दिल की बात को।
जो चूक जायेगी आज तू, तो, ना कह पाएगी फिर कभी।
मौका भी और दस्तूर भी और वो महफिल में पास भी।
जो बात दिल में है तेरे कह दे तू आज और अभी।
बातें अधूरी छोड़ कर,क्या तू जी पाएगी जिन्दगी।
अपनी अधूरी ख़्वाहिशों संग, खुशतूरह पाएगी कभी।
जो बात दिल में है तेरे कह दे तू आज और अभी।
मौका भी और दस्तूर भी और वो महफिल में पास भी।
कल सब कुछ हो पास में तेरे,दुनियाँ-जहान की खुशी।
एक खलिस, दिल की तेरी ने ना देगी तुझको कभी।
उम्र भर दिदार को उनको,उनके तरस, ,तू जाएगी।
मौका भी, दस्तूर भी और वो, महफिल मे,है पास भी।
मौत की चाहत होगी तो होगी, दामन ना छोड़गी जिन्दगी।
एक अधुरी ख्वाहिशें बनकर रह जाएगी जिन्दगी।
कल की खुशी के वास्ते, कर ले तू उनसे बात अभी।
मौका भी और दस्तूर भी और वो महफिल में पास भी
दिल में जो तेरे बात है कह दे तू आज और अभी ।
जो बात दिल में है तेरे कहदे तू आज और अभी ।
हिमांशु पाठक, ”पारिजात”, ए-36, जज-फार्म, छोटी-मुखानी, हल्द्वानी, नैनीताल, उत्तराखंड
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