सोशल मीडिया पर शायरी कविता | Social Media par shayari kavita in hindi | सोशल मीडिया पर कविता इन हिंदी

सोशल मीडिया पर लिखी कुछ बाते शायद आपको अपनी ही जिन्दगी का आईने उनमें दीख जाये, वैसे तो मैं भी नहीं जनता जीवन का सच लेकिन फिर भी कहता हूँ, जन्दगी हर पल बदलती हैं, हर पल सिखाती हैं, कभी दोस्त, तो कभी दुश्मन बन जाती हैं लेकिन सच हैं दोस्तों, जिन्दगी ही जीना सिखाती हैं.

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सोशल मीडिया पर शायरी कविता | Social Media par shayari kavita in hindi | सोशल मीडिया पर कविता इन हिंदी

जब टीवी मेरे घर आया
तो मैं किताबें पढ़ना भूल गया था।
जब कार मेरे दरवाजे पर आई
तो मैं चलना भूल गया।
हाथ में मोबाइल आते ही
मैं चिट्ठी लिखना भूल गया।
जब मेरे घर में कंप्यूटर आया
तो मैं स्पेलिंग भूल गया।
जब मेरे घर में एसी आया
तो मैंने ठंडी हवा के लिए पेड़ के नीचे जाना बंद कर दिया।
जब मैं शहर में रहा
तो मैं मिट्टी की गंध को भूल गया।
मैं बैंकों और कार्डों का लेन-देन करके
पैसे की कीमत भूल गया।
परफ्यूम की महक से
मैं ताजे फूलों की महक भूल गया।
फास्ट फूड के आने से
मेरे घर की महिलायें पारंपरिक व्यंजन बनाना भूल गई..
हमेशा इधर-उधर भागता
मैं भूल गया कि कैसे रुकना है
और अंत में जब मुझे सोशल मीडिया मिला
तो मैं बात करना भूल गया..

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  • Web Title: shayari poetry on social media social media par shayari kavita in hindi |

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