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happy birthday to sakshi malik
देश का नाम रोशन करने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Sakshi Malik | साक्षी मलिक
साक्षी मलिक (जन्म 3 सितंबर 1992) एक भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान हैं। २०१६ के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में, उन्होंने ५८ किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता, ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। वह साथी महिला पहलवानों विनेश फोगट, बबीता कुमारी और गीता फोगट के साथ JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम का हिस्सा हैं।
मलिक ने इससे पहले ग्लासगो में 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक और दोहा में 2015 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था।
Sakshi Malik Early life | साक्षी मलिक का प्रारंभिक जीवन
साक्षी मलिक का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव में दिल्ली परिवहन निगम के बस कंडक्टर सुखबीर और स्थानीय स्वास्थ्य क्लिनिक के पर्यवेक्षक सुदेश मलिक के घर हुआ था। उसके पिता के अनुसार, वह अपने दादा बदलू राम, जो एक पहलवान भी थे, को देखकर कुश्ती को अपनाने के लिए प्रेरित हुई थी। उन्होंने 12 साल की उम्र में छोटू राम स्टेडियम, रोहतक के एक अखाड़े में एक कोच ईश्वर दहिया के तहत कुश्ती का प्रशिक्षण शुरू किया। हालाँकि, वहाँ चार लोग थे, कुलदीप मलिक, ईश्वर दहिया, मंदीप सिंह और राजबीर सिंह जिन्होंने खुद को साक्षी मलिक के कोच के रूप में दावा किया था। बाद में, साक्षी ने खुद खेल विभाग को एक हलफनामा सौंपा, जिसमें बताया गया कि ईश्वर दहिया और मनदीप सिंह उसके कोच हैं।
हरियाणा की साक्षी मालिक इसके पहले 2014 और 2015 में भी मैडल जीत चुकी है. साक्षी मलिक ने अपने जीवन में महान रेसलर गीता फोगट को अपना आदर्श माना है, वे हमेशा उनके ही नश्के कदम पर चलती आ रही है. महावीर फोगट, गीता फोगट के जीवन से जुड़ी बातें यहाँ पढ़ें.
साक्षी मलिक जीवन परिचय | Sakshi Malik Biography in Hindi, Olympic Medals and Age
जीवन परिचय बिंदु | साक्षी मलिक जीवन परिचय |
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पूरा नाम | साक्षी मलिक |
नाम | साक्षी |
जन्म | 3 सितम्बर 1992 |
जन्म स्थान | मोखरा गाँव, रोहतक जिला, हरियाणा |
पिता | सुखवीर मलिक |
माता | सुदेश मलिक |
भाई | सचिन मलिक |
कोच | ईश्वर दहिया |
नेशनल कोच | कुलदीप मलिक, कृपाशंकर बिश्नोई |
प्रोफेशन | फ्रीस्टाइल रेसलिंग |
हाईट | 162 cm |
वजन | 64 kg |
रेसलिंग केटेगरी | 58 kg |
देश | भारत |
पति | सत्यव्रत कादियान |
पुत्री | सोनम मलिक |
पुरस्कार | पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न, पद्म श्री |
नागरिकता | भारतीय |
साक्षी मलिक का जन्म 3 सितम्बर 1992 को मोखरा गाँव के रोहतक जिला, हरियाणा में हुआ था. इनके पिता का नाम सुखबीर मलिक है, जो दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन में कंडक्टर है. साक्षी की माँ सुदेश मलिक एक आंगनबाड़ी में काम करती है. साक्षी को बचपन से ही रेसलिंग से लगाव था, साक्षी के दादा जी बध्लू राम भी एक रेसलर थे, इन्ही को देखकर साक्षी के मन में भी रेसलर बनने की बात आई थी. साक्षी ने अपनी पढाई की शुरुवात रोहतक के वैश्य पब्लिक स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद वे रोहतक के DAV पब्लिक स्कूल भी गई. साक्षी ने अपने कॉलेज की पढाई रोह्तक के मह्रिषी दयानंद यूनिवर्सिटी से की थी.
साक्षी ने रेसलिंग की ट्रेनिंग 12 साल की उम्र से शुरू कर दी थी. इनके कोच ईश्वर दाहिया थे, जिनके साथ साक्षी ने रोहतक के अखारा में स्थित छोटू राम स्टेडियम से प्रैक्टिस शुरू की. ट्रेनिगं के दौरान साक्षी को बहुत सी चुनौती का सामना करना पड़ा, यहाँ सब बोलते थे, ये खेल लड़कियों के लिए नहीं है. इनके कोच ईश्वर दाहिया का भी वहां के लोग विरोध करते थे, क्यूंकि वे साक्षी को अपने अंडर में ट्रेनिंग दे रहे थे. इन सब के बाद भी साक्षी के परिवार वाले उसे पूरा सपोर्ट करते थे, वे अपनी बेटी के साथ खड़े हुए थे.
साक्षी की माँ उसको एक एथलीट बनाना चाहती थी, उनके हिसाब से रेसलिंग पुरुषों का खेल था, जिसे लड़कियां नहीं खेल सकती थी. एक बार वे गर्मियों में साक्षी को छोटू राम स्टेडियम ले गई, वहां वे चाहती थी कि साक्षी कुछ फिजिकल एक्टिविटी करे, लेकिन साक्षी ने वहां कुश्ती को चुना और उसके गुर सिखने लगीं. शुरू में ये बात सुन उनकी माँ इस फैसले से खुश नहीं थी, लेकिन फिर अपनी बेटी की ख़ुशी के लिए वे मान गई.
साक्षी मलिक करियर (Sakshi Malik career history)
- साक्षी ने 12 साल में ट्रेनिंग शुरू की और फिर देश के बहुत से इवेंट में हिस्सा लेकर विजयी रही. अन्तराष्ट्रीय तौर पर साक्षी ने अपने जीवन का पहला खेल 2010 में जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशीप में खेला था. यहाँ उन्होंने 58 किलोग्राम केटेगरी में ब्रोंज मैडल जीता था.
- इसके बाद 2014 में साक्षी को अन्तराष्ट्रीय तौर पर पहचान मिली, जब उन्होंने डेव इंटरनेशनल रेसलिंग टूर्नामेंट में 60 किलोग्राम केटेगरी में गोल्ड मैडल जीता था.
- 2014 में ही ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में साक्षी ने क्वार्टर फाइनल जीता था, इसके बाद सेमीफाइनल में कैनेडा से 3-1 से विजयी रही. साक्षी का फाइनल मैच नाइजीरिया की एमिनेट से था, जिसे वे हार गई. यहाँ साक्षी को सिल्वर मैडल मिला.
- इसके बाद सितम्बर 2014 में ताशकेंट में वर्ल्ड चैम्पियनशीप मुकाबला हुआ. यहाँ साक्षी क्वार्टरफाइनल से ही बाहर हो गई थी, लेकिन सामने वाली टीम से साथ 16 राउंड तक वे लड़ती रहीं.
- 2015 में दोहा में एशियन चैम्पियनशीप हुई, इसमें 60 किलोग्राम के 5 राउंड हुए थे. यहाँ साक्षी ने 2 राउंड जीत कर तीसरा नंबर हासिल किया था और ब्रोंज मैडल जीता था.

साक्षी मलिक को मिले पुरुस्कार (Sakshi Malik Award)
- साक्षी अभी नार्थ रेलवे ज़ोन में कमर्शियल डिपार्टमेंट में कार्यरत है, रियो में ब्रोंज मैडल जीतने के बाद उनका प्रोमोशन हो गया और वे राजपत्रित पद के लिए वरिष्ठ अधिकारी बन गई.
- साक्षी को भारतीय रेलवे की तरह से 3.5 करोड़ की राशी देने की घोषणा की गई.
- हरियाणा राज्य की तरह से 2.5 करोड़ नगद और सरकारी नौकरी की पेशकश की गई है.
- मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से 25 लाख नगद की घोषणा की गई.
- उत्तरप्रदेश सरकार की तरफ से रानी लक्ष्मीबाई पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है.
- इसके अलावा इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के द्वारा भी पुरुस्कार की घोषणा की गई है.
उपलब्धियाँ (Sakshi Malik Achievements)
2011 में गोल्ड मेडल | जूनियर नेशनल, जम्मू |
2011 में ब्रोंज मेडल | जूनियर एशियन, जकार्ता |
2011 में सिल्वर मेडल | सीनियर नेशनल, गोंडा |
2011 में गोल्ड मेडल | ऑल इंडिया विवि, सिरसा |
2012 में गोल्ड मेडल | जूनियर नेशनल, देवघर |
2012 में गोल्ड मेडल | जूनि. एशियन, कजाकिस्तान |
2012 में ब्रोंज मेडल | सीनियर नेशनल, गोंडा |
2012 में गोल्ड मेडल | ऑल इंडिया विवि अमरावती |
2013 में गोल्ड मेडल | सीनियर नेशनल, कोलकाता |
2014 में गोल्ड मेडल | ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी, मेरठ |
2016 में ब्रोंज मेडल | ओलम्पिक, रियो डि जेनेरियो, ब्राजील |
रियो ओलंपिक में भारत देश की लड़कियां का पंचम जम के बोल रहा है, साक्षी मलिक के अलावा दीपा कर्मकार ने भी भारत का नाम ऊँचा किया है, दीपा पहली महिला जिमनास्ट बन गई है जिन्होंने ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. इसके आलवा भारत की तीसरी लड़की पी वी सिन्धु ने भारत का सर और ऊँचा कर दिया है, 19 अगस्त 2016 में हुए बैडमिंटन फाइनल में सिन्धु ने अपनी जान लगा दी लेकिन स्पेन की खिलाड़ी से हार गई. सिन्धु का सिल्वर मैडल मिला, जो इस ओलंपिक का पहला सिल्वर मैडल है. भले बाकि दुनिया के लिए सिन्धु को दुसरे नंबर पर है, लेकिन हम सब भारतीय के लिए वे अव्वल नंबर पर है.
ओलंपिक में लड़कियों की लगातार जीत से भारत देश को यही सन्देश मिलता है कि वे लड़की बचाएं और आगे बढ़ाये, इन लड़कियों से ही हमारा कल है.