kawad yatra 2023 : फाल्गुन कावड़ यात्रा की तैयारियां शुरू, 18 फरवरी को महाशिवरात्रि

कावड़ यात्रा 2023

kawad yatra 2023 : काँवड़ यात्रा या काँवर यात्रा वैसे तो एक वार्षिक तीर्थयात्रा है मगर साल में दो बार लाई जाती है। एक जुलाई व अगस्त के महीने में और दूसरी फाल्गुन यानि फरवरी में और हिन्दु कण्लेंडर के अनुसार सावन के महीने में प्रारंभ होती है। इन दोनों यात्रा में शिव भक्त काँवड़ में जल भर कर जो कि गंगोत्री व गौमुख और हरिद्वार से पवित्र गंगा नदी का जल लेकर अपने निवास स्थान लेकर जाते है और भगवान शिव का जल से अभिषेक करते है।.

मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक

काँवड़ यात्रा में उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से करोड़ो भक्त भाग लेते है। मगर फरवरी में जो यात्रा की जाती है उसमे भगतो की संख्या कम ही रहती है। आपको बता दे कि शिव भक्त हरिद्वार व गौमुख से अपनी यात्रा आरंभ करते है तथा अपने निवास स्थान पर अपने साथ लाये गये पवित्र गंगाजल से वह विशेषकर शिवरात्री के दिन मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। इस वर्ष 18 फरवरी को महाशिवरात्रि है।

12 ज्योतिर्लिंगों का ही अभिषेक

सनातन धर्म की पुरानी मान्यताओं के आधार पर वैसे तो गंगाजल से केवल स्वयंभू शिवलिंगों और 12 ज्योतिर्लिंगों का ही अभिषेक किया जाता है। लेकिन वर्तमान में लोग अपने घरों और गावो और शहरो में स्थित शिवलिंगों का भी गंगा जल से अभिषेक करते हैं। इसके लिये सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके पूर्ण शुद्धता के साथ गंगाजल को शिवलिंगों तक पहुंचाया जाता है।

कावड़ यात्रा 2023

कांवड़ यात्रा शिविर

अब समय के अभाव में कुछ लोग गाड़ियों से भी कांवड़ यात्रा सम्पन्न करते हैं लेकिन पुराने समय में लोग केवल पैदल ही इस कठिन यात्रा को सम्पन्न करते थे. कांवड़ यात्रा के दौरान विभिन्न समूहों और नागरिक संगठनों द्वारा जगह-जगह कांवड़ यात्रा शिविर लगाये जाते हैं, इससे भी भारतीय संस्कृति की मानवसेवा की पुरातन विचारधारा को बल मिलता है।

महादेव शिव ही संसार का संचालन करते हैं

सावन और फाल्गुन का पवित्र महीना भगवान शिव का महीना कहा जाता है. वैसे तो पूरे साल भर शिव उपासना के लिये सोमवार का व्रत रखा जाता है लेकिन सावन के सोमवार को रखे गये व्रतों का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि श्रावण मास में जब सभी देवता विश्राम करते हैं तो महादेव शिव ही संसार का संचालन करते हैं। भगवन शिव जी से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें भी सावन मास में ही हुई ऐसा माना जाता है – जैसे समुद्र मंथन के बाद विषपान, शिव का विवाह तथा कामदेव द्वारा भस्मासुर का वध आदि सावन के दौरान की घटनाएं हैं।

पंचामृत से भगवान आशुतोष की पूजा

श्रावण मास व् फाल्गुन मास के सोमवार को शिव का पूजन बेलपत्र, भांग, धतूरे, दूर्वाकुर आक्खे के पुष्प और लाल कनेर के पुष्पों से पूजन करने का प्रावधान है। इसके अलावा पांच तरह के जो अमृत बताए गए हैं उनमें दूध, दही, शहद, घी, शर्करा को मिलाकर बनाए गए पंचामृत से भगवान आशुतोष की पूजा कल्याणकारी होती है।

2023 में कांवड़ यात्रा कब है?

इस बार की कांवड़ यात्रा 4 जुलाई 2023 से 16 जुलाई 2023 तक चलेगी।

कावड़ यात्रा कितने तारीख को है?

कांवड़ यात्रा प्रारंभ तिथि: मंगलवार, 04 जुलाई 2023 – कांवड़ यात्रा समाप्ति तिथि: रविवार, 16 जुलाई 2023।

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