Indian female javelin thrower Annu Rani Biography in Hindi: आप टोक्यो ओलंपिक्स में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को तो जानते हैं, लेकिन क्या आप भारतीय महिला जेवलिन थ्रोअर अनु रानी को जानते हैं? अनु रानी विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप, दोहा (2019) में भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली, पहली भारतीय महिला थीं। इसके साथ ही, उन्होंने इस बार टोक्यो ओलंपिक्स में जेवलिन थ्रो में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था।
उत्तर प्रदेश के बहादुरपुर की रहने वाली 28 वर्षीया अन्नू, बचपन में क्रिकेट खेला करती थीं। लेकिन, उनके बड़े भाई को जब लगा कि बहन की बाजुएं काफी मजबूत हैं, तो उन्होंने अपनी बहन से खेतों में गन्ने फिंकवाएं। बस यहीं से शुरुआत हुई अन्नू के सफर की।
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भारतीय महिला जैवलिन थ्रोअर अनु रानी का व्यक्तिगत जीवन और पृष्ठभूमि | Indian female javelin thrower Annu Rani Personal life and background
अनु जब नौवीं कक्षा में थी, तभी से अपने खेत में ही गन्नों के सहारे उन्हें लंबी दूरी तक फेंककर प्रैक्टिस किया करती थीं। वह गांव में स्थित कॉलेज में अभ्यास करती थीं। हर खिलाड़ी की तरह, अनु रानी और उनके परिवार का भी अपना एक संघर्ष रहा है। अनु रानी के पिता अमरपाल, अपनी बेटी को महंगा भाला दिलाने में असमर्थ थे, जिसके लिए उन्हें कर्ज भी लेना पड़ा था। ये शायद उनके परिवार के साथ और उनकी लगन का ही नतीजा है कि अनु ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कामयाबी हासिल करती गयीं। एक अच्छे भाले की कीमत क़रीब 1 लाख रुपये थी जिसे वो ख़रीदने में सक्षम नहीं थीं। तो उन्होंने बाँस को ही भाला का आकार दे दिया और उससे अभ्यास करने लगीं।
हालाँकि, अन्नु रानी को ओलंपिक्स से बिना पदक लिए ही वापस लौटना पड़ा। लेकिन एक देश, जहाँ कभी औरतों को यह सिखाया जाता था कि उनका दायरा सिर्फ उनका घर है, ऐसे में घर से बाहर निकलकर इतनी दूर टोक्यो तक पहुंचना भी किसी उपलब्धि से कम नहीं है। फिलहाल अन्नू, वर्ल्ड रैंकिंग में तेरहवें स्थान पर हैं। अन्नू से पहले सिर्फ गुरमीत कौर ने साल 2000 में, सिडनी ओलिंपिक खेलों की महिला जेवलिन थ्रो स्पर्धा में देश का प्रतिनिधित्व किया है।
अनु रानी (जन्म 28 अगस्त 1992, मेरठ में) एक भारतीय भाला फेंक एथलीट हैं और वर्तमान राष्ट्रीय रिकॉर्ड इनके ही नाम है। अनु वो पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने 60 मीटर से अधिक की दूरी तक भाला फेंका हो। 2019 के नैशनल चैंपियनशिप में अनु ने 62.34 मीटर भाला फेंक कर नया कीर्तिमान बनाया। अनु ने चार बार अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा है। वे वर्ल्ड चैंपियनशिप के फ़ाइनल्स तक भी पहुँच चुकी हैं।

उन्होंने स्कूल और ज़िला स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया। माध्यमिक की पढ़ाई के दौरान भी अनु 25 मीटर तक भाला फेंक लेती थीं। इस खेल में उनकी रूचि और तरक्की को देखते हुए परिवार ने पूरी ताक़त के साथ अनु को आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया। लेकिन जल्द ही अनु को यह महसूस हुआ कि भाला फेंकने में सफल होने के लिए ताक़त होने के बावजूद यह खेल बहुत तकनीकी है।
भाला फेंकने में, ऐंगल- किस कोण पर भाले को फेंकना है, रिलीज़ पॉइंट- भाले को हाथ से कब छोड़ना है और ट्राजेक्ट्री- वो रास्ता जिस पर भाले को फेंकना है- ये सभी तकनीक बहुत मायने रखती है। लिहाजा अनु रानी को यह समझ आ गया का उन्हें भाला फेंकने की तकनीक पर काम करना होगा। इस प्रकार उन्होंने भाला फेंक में पूर्व भारतीय खिलाड़ी काशीनाथ नाइक से प्रशिक्षण लेने का फ़ैसला लिया।[4] काशीनाथ नाइक ने दिल्ली में आयोजित 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक हासिल किया था।
नाम | अनु रानी |
जन्म तिथि | जन्म 28 अगस्त 1992 |
जन्म स्थान | गांव बहादरपुर, जिला मेरठ, उत्तर प्रदेश |
पिता | अमरपाल सिंह |
माता | मुन्नी देवी |
भाई | उपेंद्र कुमार |
छह से 12वीं तक की पढ़ाई | श्री गांधी स्मारक इंटर कालेज, दबथुआ |
ऊंचाई | 1.65 मीटर (5 फीट 5 इंच) |
वजन | 63 किलो (139 पौंड) (2014) |
खेल | भाला फेंक |
देश | भारत |
जन्म | 28 अगस्त 1992, बहादुरपुर, उत्तर प्रदेश |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ (ओं) | 63.24 मीटर; (2021) एनआर |
इंडियन क्वीन ऑफ़ जैवलिन भारतीय महिला जैवलिन थ्रोअर अनु रानी | Indian Queen of Javelin Indian female javelin thrower Annu Rani
अनु रानी ने भाला फेंक का राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। बाद में उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड चार बार तोड़ डाला। आखिरकार उन्हें ‘इंडियन क्वीन ऑफ़ जैवलिन’ के रूप में सम्मान मिलने लगा।
महिला जैवलिन थ्रोअर अनु रानी के पदक | female javelin thrower Annu Rani medals
कांस्य पदकः | 2014 एशियन गेम्स, दक्षिण कोरिया |
कांस्य पदकः | 2017 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप, भुवनेश्वर, भारत |
रजत पदकः | 2019 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप, दोहा |
अनु रानी की उपलब्धियाँ | Annu Rani Achievements
- लेकिन जब वो इस खेल को गंभीरता से लेना चाहती थीं तो उनके रूढ़िवादी पिता ने उनके इस विचार को नहीं माने कि उनकी बेटी उस गाँव में एक एथलीट बनना चाहती हैं जहाँ अधिकांश लड़कियाँ घर के काम किया करती हैं। हालाँकि, घर में सबसे छोटी सबकी चहेती अनु रानी ने अपने पिता को मनाना जारी रखा।
- लखनऊ में 2014 के राष्ट्रीय अंतर-राज्यीय चैंपियनशिप में अनु रानी ने 58.83 मीटर भाला फेंकने के साथ न केवल स्वर्ण पदक अपने नाम किया बल्कि 14 साल पुराना राष्ट्रीय कीर्तिमान भी तोड़ डाला. इसके साथ ही वे राष्ट्रमंडल खेलों के लिए क्वालिफाइ कर गईं।
- उसी वर्ष दक्षिण कोरिया के इंचियोन में आयोजित एशियाई खेलों में उन्होंने 59.53 मीटर भाला फेंक कर कांस्य पदक हासिल किया। दो साल बाद नैशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2016 में उन्होंने पहली बार 60 मीटर के अवरोध को तोड़ते हुए 60.1 मीटर भाला फेंका और अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया।[6]
- रानी ने 2017 में भुवनेश्वर में आयोजित एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
- रानी ने 2019 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप, दोहा में रजत पदक जीता। इस प्रदर्शन से उन्होंने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में क्वालिफाइ किया और इस प्रकार वे ऐसा करने वाली पहली महिला भाला फेंक खिलाड़ी बन गईं। वहाँ वे आठवें स्थान पर रहीं।[8] उसी वर्ष चेक रिपब्लिक में आयोजित आईआईएएफ एथलेटिक्स चैलेंज में उन्होंने कांस्य पदक जीता।
- उन्होंने 2020 में एथलेटिक्स में स्पोर्ट्सस्टार एस स्पोर्स्टवूमन ऑफ़ द ईयर अवार्ड जीता।
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