मैं यमन में पैदा हुआ, मेरे पिता हमेशा कहते थे मेरे अंदर अरबी खून है: Mukesh Ambani
I was born in Yemen & my father always said I have Arabic blood: Mukesh Ambani
मुकेश अंबानी का यह बयान दिलचस्प है। अरबी रक्त की बात वही कर सकते हैं। किसी एंकर को हिचकी भी नहीं आएगी कि इस पर डिबेट कर लें। इस बात को विश्व गुरु भारत के आदर्शों के बैनर तले स्वीकार कर नज़रअंदाज़ करना ही होगा। अरब के शेखों का पैसा रिलायंस में लग रहा है। उनका पैसा आते ही रिलायंस का अंतर्राष्ट्रीयकरण शुरू हो गया है। शेखों के पैसे पवित्र हो गए। शेख़ लोगों को कालाबाज़ार का गाना सुनना चाहिए। ये पैसा बोलता है, ये पैसा बोलता है।
“I welcome H.E. Yasir Al-Rumayyan, Chairman of Saudi Aramco and Governor of PIF, to join the Board of Reliance Industries as Independent Director. His joining our Board is the beginning of internationalisation of Reliance,” Ambani said.
जाने माने पत्रकार रवीश कुमार (Ravish Kumar) ने अपनी फेसबुक वाल पर लिखा है कि मोहन भागवत भी कहने लगे कि मॉल लिंचिंग जो करता है, वो हिन्दुत्व नहीं है। क़ानून को काम करना चाहिए। यह मामला इतना सिम्पल नहीं है। जो भीड़ बनती है उसे वैचारिक खुराक और राजनीतिक सपोर्ट कहां से मिलता है भागवत जानते हैं। बस लोगों को यही समझना है कि जिन बहुसंख्यक बच्चों को उकसा कर भीड़ में भेजा गया, जिन्हें हत्या के काम में शामिल किया गया अब उन्हें छोड़ दिया गया है। दूध से मक्खी निकाल दी गई है। यही राजनीति होती है।
भागवत जानते हैं कि क़ानून ने भी काम नहीं किया। क़ानून ने किसके इशारे पर काम नहीं किया। किया होता तो मॉब लिंचिंग नहीं होती। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के हत्यारों के साथ क्या हुआ, आप सर्च कर पढ़ सकते हैं। बाक़ी घटनाओं का विवरण भी। इस भीड़ को वैचारिक और सामाजिक समर्थन कहां से मिला। भागवत जानते हैं। यह जो भीड़ बनी है और जिसे सोशल मीडिया पर सपोर्ट करने वाली एक फ़ौज खड़ी है जिसमें गीतकार से लेकर पत्रकार तक शामिल है अचानक से ऐसे ख़ारिज कर रहे हैं जैसे जब यह हो रहा था मोहन भागवत देशाटन पर गए हुए थे।
रवीश कुमार (Ravish Kumar) ने कहा है कि कि कमाल है हर बात कह दो ताकि हर बात में शामिल रहें। ज़रा सरकारों का नाम लेकर ही कह देते कि मॉल लिंचिंग में शामिल भीड़ को राजनीति ने समर्थन दिया जिसे पार्टी की राजनीति ने समर्थन दिया उसे विजयी बनाने के लिए संघ के कार्यकर्ता दिन रात काम करते हैं। ख़ुद मोहन भागवत मिथुन चक्रवर्ती से मिलने उनके घर जाते हैं जो बाद में बीजेपी में शामिल होते हैं। पूरा संघ राजनीतिक चुनाव में लगा रहता है, ख़बरें छपती हैं कि संघ के कार्यकर्ता यहाँ चुनाव में वहाँ चुनाव में हैं। फिर भी भागवत कहते हैं कि संघ का राजनीति से लेना देना नहीं है।
जिन नौजवानों ने मुसलमानों से नफ़रत में अपनी जवानी बर्बाद की है वो अब उस मीम को लेकर रोते रहें जिसे हिंदुत्व की धारा के लोगों ने बनाकर लाखों की संख्या में सप्लाई की। नेहरू मुसलमान थे। ऐसे मीम भेजने वाले कौन लोग थे, हैं, और किसके लिए भेजते रहे हैं?
रवीश कुमार ने कहा है कि हेडलाइन छप रही है कि जो कहता है कि मुसलमान भारत से चले जाएँ वो हिन्दू नहीं है। लेकिन जब कहा जा रहा था तब क्या हो रहा था। पाकिस्तान जाने की बात किसने की थी। गिरिराज सिंह ने की थी या किसी और ने। पाकिस्तान में पटाखे फोड़ने के बहाने मुसलमानों को पाकिस्तान से किसने जोड़ा था, अमित शाह ने या किसी और ने। अब कह दिया जाएगा कि वो बयान तो पाकिस्तान के लिए था, मुसलमान के लिए नहीं क्योंकि ऐसा बोलने पर भागवत जी ने कह दिया कि वो हिन्दू नहीं होगा।
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