Hindi News: विनायक विद्यापीठ के विद्यार्थियों ने जाना इंडिया गेट, लोटिस एवं इस्कॉन मंदिर का इतिहास

Hindi News | मेरठ के विनायक विद्यापीठ के बीकॉम एंड बीए- जेएमसी के विद्यार्थियों के लिए उनके शिक्षकों के नेतृत्व में दिल्ली स्थित इंडिया गेट, लोटिस एवं इस्कॉन मंदिर में शैक्षिणिक भ्रमण का आयोजन किया गया। जिसको संस्थान के निदेशक इंजी विकास कुमार ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

निदेशक इंजी0 विकास कुमार ने विद्यार्थियों को रवाना करते हुए कहा कि इंडिया गेट, लोटस मंदिर एवं इस्कॉन मंदिर भारत में सबसे लोकप्रिय मन्दिरों में से एक है और इस प्रकार के ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी होनी चाहिए जोकि इस प्रकार के भ्रमण से ही होती है। जिसके लिए विनायक विद्यापीठ हमेशा प्रयासरत रहता है। भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने उनके इतिहास के बारे में जानकारी हासिल की, उन्हे बताया गया कि इस्कॉन मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसे “हरे राम हरे कृष्ण मंदिर” के रूप में भी जाना जाता है।

आपको बता दें कि इस मंदिर स्थापना वर्ष 1998 में अच्युत कनविंडे द्वारा की गई थी और यह नई दिल्ली के कैलाश क्षेत्र के पूर्व में हरे कृष्णा हिल्स में स्थित है, वही लोटस टेंपल एक बहाई उपासना मंदिर है, जहां न ही कोई मूर्ति है और न ही किसी प्रकार की पूजा पाठ की जाती है। लोग यहां आते हैं शांति और सुकून का अनुभव करने।

कमल के समान बनी इस मंदिर की आकृति के कारण इसे लोटस टेंपल कहा जाता है। इसका निर्माण सन 1986 में किया गया था। यही वजह है कि इसे 20वीं सदी का ताजमहल भी कहा जाता है। इंडिया गेट की आधारशिला उनकी रॉयल हाइनेस, ड्यूक ऑफ कनॉट ने 1921 में रखी थी और इसे एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था। स्मारक को 10 साल बाद तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने राष्ट्र को समर्पित किया था। भारत को आजादी मिलने के बाद एक और स्मारक, अमर जवान ज्योति बहुत बाद में जोड़ा गया था। विद्यार्थियों में इन मंदिरो को देखने के लिए अलग ही प्रकार का उल्लास देखने को मिला।

विद्यार्थियों के साथ संस्थान के निदेशक इंजी0 विकास कुमार, बी कॉम विभागाध्यक्ष रवीना उनकी टीम के सदस्य करुणा त्यागी एंड भारती शर्मा एवं बीएजेएमसी विभागाध्यक्ष सारिका गौतम उपस्थित रहें। संस्थान की प्राचार्या डा0 अनुप्रिता शर्मा ने इस ऐतिहासिक मन्दिरो के भ्रमण के आयोजन पर बीकॉम विभागाध्यक्ष रवीना मैम की सराहना की और कहा कि विद्यार्थियों को शैक्षिक ज्ञान के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थल के बारे में भी जानकारी होनी अति आवश्यक है जो कि इस प्रकार के भ्रमण से ही हो सकती है।

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