गाजियाबाद का पुराना नाम क्या है? | Ghaziabad ka Purana Naam Kya Hai?

गाजियाबाद का पुराना नाम क्या है? | Ghaziabad ka Purana Naam Kya Hai? : जिला गाजियाबाद, जिससे जुड़ा है मुगलों से लेकर 1857 की क्रांति का इतिहास।

“कभी बल से तो कभी छल से…कितनों की लंका ढाई है…पर इस शहर की हवा में कुछ अजीब सी गरमाई है…इसलिए पुराने पैंतेरे छोड़ , अब यहाँ अकल लड़ाने की बारी आई है”

यह दमदार डायलॉग फिल्म जिला गाज़ियाबाद का है. गाज़ियाबाद शहर का नाम सुनते ही आँखों के सामने बड़े-बड़े कल-कारखाने, चिमनी से निकलते धुएं और सड़कों पर दौड़ते सरपट वाहनों की तस्वीर आँखों के सामने तैरने लगती है.

लेकिन, इस शहर की एक और छवि भी उभरती है. जिसमें गाज़ियाबाद शहर दबंग सा दिखाई पड़ता है. इसमें रहने वाले ज्यादातर लोगों का स्वभाव बहुत ही तेज-तर्रार और दबंग माफिक माना जाता है.

गाजियाबाद का पुराना नाम क्या है?

इतिहास सन १७४० में सम्राट, ग़ाज़ी-उद्-दीन द्वारा बसाये गये इस शहर को इसके संस्थापक ग़ाज़ी-उद्-दीन द्वारा ग़ाज़ीउद्दीननगर नाम दिया गया।

‘उत्तर प्रदेश का गेटवे’ माने जाने वाले इस शहर को एक समय पर ‘जिले’ में बदल दिया गया. साथ ही, कभी मुगलों के आधीन रहे इस शहर के इंडस्ट्रियल हब में तब्दील होने की कहानी दिलचस्प है. इस शहर की लोकेशन इसकी सबसे बड़ी खूबी रही है. क्यों और कैसे?

तो आइये, झांकते हैं इतिहास के झरोखों से गाजीउद्दीन नगर से गाज़ियाबाद जिला बनने तक की कहानी-

गुप्ता राजवंश से लेकर मुगलों ने किया राज

गाजियाबाद का इतिहास 2500 ईसा पूर्व पुराना है. इस बात का आधार हिंडन नदी के तट पर आधारित केसर के मैदान पर हुआ शोध है. यहाँ हुए शोध कार्य और खुदाई से मिले अवशेषों से इसकी उम्र का पैमाना तय किया गया.

हिंडन नदी

हिंडन नदी

गाजियाबाद जिले की पूर्वी सीमा पर एक ‘कोट’ नामक गाँव स्थित था. इस गाँव को प्रसिद्ध सम्राट समुद्रगुप्त का सहयोग प्राप्त था. दरअसल, समुद्रगुप्त ने “कोट कुलजम” और किले पर विजय प्राप्त करने के बाद इसी गाँव में अश्वमेध का यज्ञ किया था. कोट में सात से भी ज्यादा युद्ध लड़े गए थे.

चौथी सदी में लोनी में समुद्रगुप्त और कोट कुलजम के बीच मशहूर युद्ध हुआ. इसी युद्ध से गाजियाबाद शहर की नींव पड़ गई थी. इस युद्ध में जीत के बाद मुगलों के आगमन तक यह हिंदू राजाओं के ही आधीन रहा.

गाजीउद्दीन नगर से बना जिला गाजियाबाद

सन 1740 में, वजीर गाजी-उद-दीन ने गाजियाबाद की स्थापना की. उसने इस शहर का नाम अपने नाम पर ही ‘गाजीउद्दीन’ नगर रखा. वह मुग़ल शासक अहमदशाह और अलमगीर द्वितीय के दरबार का मंत्री था.

आज के इस मॉडर्न शहर पर कई शासकों ने अपनी हुकूमत चलाई. जिसमें हिंदू राजाओं से लेकर मुग़ल शासक शामिल हैं. इसमें समुद्रगुप्त, मुहम्मद-बिन-तुग़लक, तैमुर, मुगल और मराठा शामिल हैं. इसी शहर में मुगल सम्राट द्वारा बनाई गई ‘सेराई’ बहुत मशहूर है. इसमें 120 कमरे बने हुए हैं. इस ढांचे का आकार एक आर्क के रूप में बना हुआ है.

मुगलों ने इस शहर को चार आलीशान दरवाजों के भीतर बसाया था. इन चार दरवाजों में डासना गेट, दिल्ली गेट, सिहनी गेट और शाही गेट शामिल हैं. इस दरवाजों के अलावा, इस शहर में लगभग 14 फीट लम्बे स्तंभ आज भी मौजूद हैं.

डासना गेट, दिल्ली गेट, सिहनी गेट और शाही गेट

गाजीउद्दीन नगर का नाम तब बदला गया जब यहाँ रेलवे स्टेशन की लाइन भी खुली. जिसके बाद इसका नाम छोटा करके गाजियाबाद कर दिया गया. समय के साथ, चौथा दरवाजा यानि शाही गेट का नाम बदल गया. अब इस का नाम बदलकर बाज़ार गेट हो गया है.

आजादी के बाद एक बार फिर इसी गेट का नामकरण हुआ. इस बार इसका नाम बदलकर जवाहर गेट रख दिया गया, जो आज तक प्रचलन में है. जबकि बाकी तीनों दरवाज़ों के नाम अभी तक वही हैं जैसे पहले हुआ करते थे.

इस धरती से एक और युद्ध जुड़ा हुआ है. वह युद्ध जो मराठों और मुगलों के बीच हुआ था. इस युद्ध में मराठों ने मुगलों को हराकर जीत हासिल कर ली. इसके साथ ही उन्होंने यहाँ अपना राज कायम कर लिया. इस शहर ने अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ भी आवाज उठाने में अहम भूमिका निभायी थी. यहीं 1857 में स्वतंत्रता सेनानियों और अंग्रेजों के बीच झड़प भी हुई थी.

बताते चलें कि साल 1763 में, राजा सूरजमल की रोहिल्लाओं ने इसी शहर के पास हत्या कर दी गई थी. उस समय भी यह शहर चर्चा में आया था.

गाजियाबाद एक ‘इंडस्ट्रियल हब’ के रूप में

साल 1976 तक यह शहर मेरठ शहर की ही एक तहसील था. उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इसे अलग कर दिया. उन्होंने 14 नवम्बर, 1976 में इसे एक अलग जिला गाजियाबाद के रूप में घोषित कर दिया. इसी के साथ ‘गाजियाबाद’ के नाम का नया जिला अस्तित्व में आया.

मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी

गाजियाबाद शहर ही गाजियाबाद डिस्ट्रिक्ट का हेडक्वाटर है. हालांकि, यहाँ साल 1865 से ही रेलवे मौजूद है. फिर भी साल 1940 तक यहाँ आधुनिक औद्योगीकरण की दस्तक नहीं हो पाई थी.

साल 1940 में, यहाँ पहली आधुनिक इंडस्ट्री की स्थापना हुई थी. इसकी स्थापना के साथ और आजादी के बाद भी यह इंडस्ट्री बढती ही चली गई. इसका लगातार विस्तार होता रहा. साल 1947 के बाद 22 फैक्टरियाँ का बड़ी जल्दी ही विस्तार हुआ.

यहाँ सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, औद्योगिक और कृषि हर क्षेत्र में लगातार उन्नति ही हुई है. यहां अपने जिला घोषित होने के साथ ही औद्योगीकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होता रहा.

70 के दशक में बड़ी संख्या में स्टील मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगातार बढ़ती चली गई. इसी दौर में इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री का भी विस्तार हुआ था. इसी समय ‘भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ और ‘सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ की भी स्थापना की गई.

यहाँ मोहंस (1949), टाटा जैसी कंपनियां भी आना शुरू हो गई. यहाँ धीरे-धीरे पैर पसार रहा उद्योग आज बहुत बड़े स्तर तक पहुँच चुका है. आज गाजियाबाद की एक बड़ी पहचान उसमें मौजूद इंडस्ट्रीज ही हैं.

इस शहर में घुसते ही बड़ी बड़ी फैक्ट्री और बिल्डिंग्स दिखाई पड़ती हैं. गाजियाबाद को कहीं न कहीं आधुनिक भारत की छवि भी कह सकते हैं.

इस तरह कभी युद्ध और जमीन के तौर पर एक अहम जगह रहा था गाजियाबाद. जिसने कई सारी सत्ता बनते और बिगड़ते हुए देखा है. साथ ही, आजादी के पहले ही इंडस्ट्री की नींव पड़ चुकी थी और आजादी के बाद भी इसका लगातार विस्तार होता चला गया.

यही वजह है कि आज का गाजियाबाद शहर उद्योग-धंधो का एक अहम अड्डा रहा है. तो ये था इस शहर का इतिहास, आपको कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.

महत्वपूर्ण सवालों के जबाब:-

गाजियाबाद का पुराना नाम क्या है?

इतिहास सन १७४० में सम्राट, ग़ाज़ी-उद्-दीन द्वारा बसाये गये इस शहर को इसके संस्थापक ग़ाज़ी-उद्-दीन द्वारा ग़ाज़ीउद्दीननगर नाम दिया गया।

गाजियाबाद का दूसरा नाम क्या है?

१८६४ में नगर में रेलवे के आगमन के साथ ही नगर के नाम को “गाजीउद्दीननगर” से छोटा कर “गाजियाबाद” कर दिया गया।

जिला गाजियाबाद कब बना था?

जिले का गठन 14 नवंबर 1976 से पहले गाजियाबाद जिला मेरठ की तहसील थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री एन.डी. तिवारी ने 14 नवंबर 1976 को भारत के पहले प्रधान मंत्री, पं जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर गाजियाबाद को जिला के रूप में घोषित किया।

गाजियाबाद क्यों प्रसिद्ध है?

ऐतिहासिक सांस्कृतिक, पौराणिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से गाजियाबाद एक समृद्ध शहर है। यह जिले में किए गए पुरातात्विक अनुसंधान कार्य और खुदाई से साबित हुआ है। मोहन नगर से 2 किमी उत्तर में हिंडन नदी के तट पर स्थित केसरी के टीले पर की गयी खुदाई से पता चलता है कि यहाँ लगभग 2500 बीसी में सभ्यता विकसित हो गई थी।

क्या नोएडा और गाजियाबाद एक ही है?

नोएडा, न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण का संक्षिप्त नाम, लोकप्रिय शब्दावली में स्थापित हो गया है। यहां यह ध्यान देने योग्य है कि गौतम बुद्ध नगर जिले (नोएडा) को 1997 में गाजियाबाद जिले से एक अलग जिले के रूप में बनाया गया था ।

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  • Web Title: What is the old name of Ghaziabad? , What is Ghaziabad ka Purana Naam?

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