Divya Kakran | कौन हैं रेसलर दिव्या काकरान? | Divya Kakran Biography in Hindi: वो मिट्टी में लड़ती थी और लड़कों को भी पटकती थी। उसके पिता लंगोट बेचकर जैसे-तैसे घर चलाने को मजबूर थे। माँ लंगोट सिलाई का काम करती थी। बड़े भाई ने उसके करियर के लिए अपनी पढ़ाई-लिखाई और कैरियर छोड़ दिया। जब गाँव वालों ने ताने देना शुरू किया तो गाँव भी छोड़ दिया और दिल्ली आकर किराए के मकान में रहने लगे। जब खेलने के लिए पैसे नहीं थे तो माँ ने अपने गहने यहाँ तक की मंगलसूत्र तक बेच दिया।
पैसे न होने के कारण मैच से पहले एनर्जी ड्रिंक के नाम पर सिर्फ 15 रुपये का ग्लूकोज पीती थी। आप सोच रहे होंगे ये कोई बॉलीवुड फिल्म की कहानी है लेकिन ये सच है भारतीय महिला पहलवान दिव्या काकरान का। उसने 19 साल की उम्र में इन सब मुसीबतों का न सिर्फ सामना किया है बल्कि इन सबसे पार पाकर एक सफल खिलाड़ी के तौर पर अपना नाम भी स्थापित किया है।

दिव्या काकरन (जन्मः 8 अक्तूबर 1998) भारतीय फ्रीस्टाइल कुश्ती खिलाड़ी हैं. वो एशियन कुश्ती चैंपियनशिप 2020 के 68 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाली देश की पहली महिला हैं।उन्होंने 2017 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता 2018 में इस पहलवान ने एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक हासिल किया। उन्हें उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए 2020 में देश के प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया।
काकरन नोएडा कॉलेज ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन से फिजिकल एजुकेशन और स्पोर्ट्स साइंस में स्नातक हैं और भारतीय रेलवे में सीनियर टीटीई के पद पर भी कार्यरत हैं।
Table of Contents
Divya Kakran | दिव्या काकरान का निजी जीवन और परिवार
नाम | दिव्या काकरान |
उपनाम | दिव्या, Wrestling Boy |
पेशा | फ्री स्टाइल पहलवान |
पिता का नाम | सूरजवीर सैन |
माता का नाम | संयोगिता सैन |
भाई का नाम | देव सैन |
जन्मतिथि | 08 अक्टूबर 1998 |
जन्मस्थान | पुरबालियान, मुजफ्फरनगर, UP |
वर्तमान शहर | गोकुलपुर, पूर्वी दिल्ली |
आयु | 23 वर्ष ( 2021 में ) |
लंबाई | 5 फुट 6 इंच |
वजन | 68 किलोग्राम |
वैवाहिक स्तिथि | सगाई (सचिन प्रताप) |
कोच | भारतीय कोच विक्रम कुमार, विदेशी कोच व्लादिमीर |
शिक्षा | स्नातक (शारीरिक शिक्षा और खेल विज्ञान) |
कॉलेज | नोएडा कॉलेज ऑफ फिज़िकल एजुकेशन, दादरी (UP) |
Instagram ID | divya_kakran68 |
दिव्या काकरान भारत की एक फ्रीस्टाइल पहलवान हैं। उनका जन्म 08 अक्टूबर 1998 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के पुरबालियान गांव में हुआ था। दिव्या के पिता का नाम सुरजवीर सैन है और वो लंगोट बेचने का काम करते हैं। उनकी माता का नाम संयोगिता सैन है और वो लंगोट सिलने का काम करती हैं।

बड़े भाई का नाम देव सैन है और वो दिव्या के खान-पान और प्रैक्टिस का ध्यान रखते हैं। दिव्या ने दिल्ली राज्य चैम्पियनशिप में 17 स्वर्ण पदकों सहित 60 से अधिक पदक जीते हैं, और 14 बार भारत केसरी का खिताब भी जीता है। विलक्षण प्रतिभा वाली दिव्या ने उस लड़की के तौर पर नाम कमाया जो लड़कों को भी हरा सकती है। दिव्या वर्तमान में भारतीय रेलवे में वरिष्ठ टिकट परीक्षक के रूप में कार्यरत हैं।
दिव्या काकरान शिक्षा
दिव्या का बचपन में पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। क्योंकि उनका ध्यान हमेशा खेल में ही रहता था। लेकिन उनकी माँ उन्हें जोर जबरदसती से गाँव के एक स्कूल में भेजती थी और उनकी प्रारम्भिक शिक्षा उनके गाँव से ही शुरू हुई। दिल्ली आने के बाद दिव्या ने नोएडा कॉलेज ऑफ फिज़िकल एजुकेशन, दादरी (UP) से शारीरिक शिक्षा और खेल विज्ञान (बीपीईएस) में स्नातक की डिग्री हासिल की।

दिव्या काकरान का कुश्ती करियर
दिव्या के दादा जी और उनके पिता सुरजवीर सैन भी पहलवानी करते थे। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनके पिता को कुश्ती बीच में ही छोड़नी पड़ी। लेकिन सुरजवीर जी ने दिव्या के साथ ऐसा नहीं होने दिया। हालांकि उनकी माँ चाहती थी भाई देव पहलवानी करे लेकिन पिता और भाई ने दिव्या को पहलवानी करने पर जोर दिया। दिव्या के पूरे परिवार ने उसके लिए जी तोड़ मेहनत की है, जिसका वह बार-बार जिक्र भी करती हैं।
दिव्या ने अपने कुश्ती करियर की शुरुआत मिट्टी में दंगल लड़ने से की थी। वह कोच विक्रम कुमार के पास गुरु प्रेमनाथ अखारा, दिल्ली में कुश्ती सीखने जाती थी। क्योंकि सुरजवीर जी दंगल और खेल मेलों में लंगोट बेचने जाते थे तो वो दिव्या को भी अपने साथ लेकर जाने लगे। लेकिन दिव्या के साथ कुश्ती करने के लिए कोई लड़की नहीं होती थी जिस कारण उनको लड़कों के साथ कुश्ती करनी पड़ती थी।
दिव्या ने अपन पहला नैशनल गेम्स मेडल हरयाणा में आयोजित 2011 नैशनल गेम्स में ब्रान्ज़ मेडल के रूप में जीता था। इसके बाद उन्होंने उलानबटार, मंगोलिया में आयोजित 2013 एशियाई जूनियर कैडेट्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता जो की दिव्या काकरान का पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल था।
दिव्या एशियाई चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली सिर्फ दूसरी भारतीय महिला पहलवान हैं। उनसे पहले ऐसा कारनामा केवल सरिता मोर ही कर पाई हैं। दिव्या ने लगातार 2020 और 2021 संस्करण में स्वर्ण पदक जीता है।

दिव्या ने 23 मार्च 2018 को भिवानी, हरयाणा में आयोजित भारत केसरी दंगल में भारत केसरी का खिताब जीता। इस दंगल के फाइनल मुकाबले में उसने रितु मलिक को हराया था। इस फाइनल मैच से पहले दिव्या ने इसी दंगल में अंतरराष्ट्रीय चैंपियन गीता फोगाट को भी हराया था। दिव्या अब तक 14 बार भारत केसरी का खिताब जीत चुकी हैं।
दिव्या काकरान पदक और उपलब्धियां (Divya Kakran Medals and Achievements)
दिव्या को अगस्त, 2020 में कुश्ती में शानदार प्रदर्शन के लिए भारत सरकार की ओर से अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और इसके साथ वह अर्जुन अवॉर्ड पाने वाली सबसे युवा खिलाड़ी बन गई।
वर्ष (Year) | प्रतिस्पर्धा (Event) | स्थान (Place) | पदक (Medal) |
2017 | एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप | नई दिल्ली, भारत | सिल्वर मेडल |
2017 | ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप | भारत | गोल्ड मेडल |
2017 | सीनियर नेशनल चैंपियनशिप | भारत | गोल्ड मेडल |
2017 | कामन्वेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप | जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका | गोल्ड मेडल |
2018 | एशियन गेम्स | जकार्ता, पालेमबांग | ब्रान्ज़ मेडल |
2018 | कामन्वेल्थ गेम्स | गोल्ड कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया | ब्रान्ज़ मेडल |
2019 | एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप | चीन | ब्रान्ज़ मेडल |
2020 | एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप | नई दिल्ली, भारत | गोल्ड मेडल |
2021 | एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप | अल्माटी, कजाखस्तान | गोल्ड मेडल |
2022 | कामन्वेल्थ गेम्स | बर्मिंघम, इंग्लैंड | ब्रान्ज़ मेडल |
दिव्या काकरान शादी (Divya Kakran Husband)
पहलवान दिव्या काकरान की सगाई की रस्म 25 जनवरी 2022 को जनपद शामली के गांव जाफरपुर निवासी भानू प्रताप के बेटे सचिन प्रताप से गांव पुरबालियान में सम्पन्न हुई। लेकिन शादी पेरिस ओलंपिक के बाद ही की जाएगी। सचिन प्रताप नेशनल बाडी बिल्डर खिलाड़ी हैं। सचिन प्रताप के पिता मेरठ में पीटीएस में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं और वह इंस्ट्रेक्टर के रूप में पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण देते हैं। हाल में वह पिता के साथ पीटीएस मेरठ स्थित सरकारी आवास में ही रह रहे हैं।
दिव्या काकरान सीडब्ल्यूजी 2022 (Divya Kakran CWG 2022)
इंग्लैंड के बर्मिंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games 2022) में दिव्या ने महिलाओं की 68 किलोग्राम भारवर्ग की कुश्ती में ब्रान्ज़ मेडल अपने नाम किया है।
दिव्या काकरान और विवाद
साल 2018 में दिव्या ने सरकार को लिख कर अपनी खराब वित्तीय पृष्ठभूमि के बारे में अवगत कराया और सरकारी मदद की मांग की थी। लेकिन सरकार को लिखने के बावजूद उन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी थी। इसके बाद जब दिल्ली सरकार ने एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों का सम्मान करने के लिए एक आयोजन किया तो दिव्या ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसके लिए खरी-खोटी सुनाई थी।

फिर साल 2019 में अर्जुन अवॉर्ड में नाम न आने के कारण भी दिव्या ने अपनी बात काफी मुखर होकर रखी थी। क्योंकि दिव्या ने लगभग हर प्रतिस्पर्धा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी और देश के लिए मेडल भी जीते थे। लेकिन फिर भी 2019 में उनको अर्जुन अवॉर्ड न मिलना किसी आश्चर्य से कम नहीं था।
दिव्या काकरान कोरोना पाज़िटिव
दिव्या ने साल 2020 में कोरोना से भी जंग लड़ी। वह 29 नवंबर 2020 को कोरोना पाज़िटिव पाई गई थी। लेकिन कोरोना से ठीक होने के बाद फिर से प्रैक्टिस शुरू कर दी। उसने लॉकडाउन के दौरान भी प्रैक्टिस जारी रखी। दिव्या के कोच उन्हें जॉर्जिया से ही वीडिओ कॉल के जरिए ट्रेनिंग देते थे।
व्यक्तिगत जीवन और पृष्ठभूमि
काकरन का जन्म उत्तर प्रदेश में मुज़फ़्फ़रनगर के पुरबालियन गाँव में 8 अक्तूबर 1998 को पहलवान पिता सूरजवीर सैन और माँ संयोगिता सैन के घर हुआ था। सैन सीमित संसाधनों की वजह से कुश्ती में गाँव स्तर से ऊपर नहीं जा सके लेकिन उन्होंने बच्चों को आगे बढ़ने में मदद की। उन्होंने अपने बेटे देव को अखाड़े में खुद प्रशिक्षण दिया और बेटी दिव्या के लिए बेहतर सुविधाओं के लिए दिल्ली शिफ़्ट करने का फ़ैसला लिया। गाँव में सुविधाओं की कमी के साथ साथ, कुश्ती केवल पुरुषों का खेल है, जैसी सामाजिक सोच भी प्रचलित थी। युवा पहलवान के रूप में काकरन दिल्ली और आसपास के कुश्ती प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगीं। यहाँ उनके प्रतिद्वंद्वी लड़के ही हुआ करते थे क्योंकि उनके ख़िलाफ़ लड़ने के लिए प्रतियोगिताओं में लड़कियाँ नहीं होती थीं। 2010 में 12 साल की उम्र में दिव्या ने एक लड़के को पछाड़ दिया।
संसाधनों की कमी के चलते कुश्ती प्रतियोगिताओं के दौरान सूरज सैन लंगोट बेचा करते, जिसकी सिलाई उनकी पत्नी संयोगिता किया करती थीं। एक बार दिव्या की माँ को अपने गहने गिरवी रखने पड़े क्योंकि दिव्या को राष्ट्रीय खेलों (नैशनल गेम्स) में भाग लेने के लिए एक लाख रुपये की ज़रूरत थी। जब दिव्या ने अपने एक इंटरव्यू में यह बात कही कि वो इस कुश्ती के लिए महज 15 रुपये का ग्लूकोज पीकर उतरी हैं, उसके बाद उनके लिए मदद के कई हाथ बढ़े। दिव्या अपने विचारों को लेकर काफी मुखर हैं। संडे गार्जियन को दिए अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि भारत में आज भी जातिवाद की गहरी जड़े हैं। एक बार उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने यह कहा था कि जब खिलाड़ियों की मदद की सबसे अधिक ज़रूरत होती है तो वो उन्हें सरकार की तरफ से नहीं मिलती। तब उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें मदद मिली होती तो भारत की झोली में स्वर्ण पदक होता। 29 नवंबर 2020 को दिव्या काकरान कोरोना वायरस पॉजिटिव पाईं गईं थी.

दिव्या काकरान फोटो | Divya Kakran Photo
FAQs
Q: दिव्या काकरान के पिता का क्या नाम है?
Ans: सूरजवीर सैन
Q: दिव्या काकरान कौन है?
Ans: फ्रीस्टाईल भारतीय महिला पहलवान है।
Q: दिव्या काकरान को अर्जुन पुरस्कार कब दिया गया?
Ans: अगस्त, 2020
Q: दिव्या काकरान का होमटाउन कौनसा है ?
Ans: पुरबालियान, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश।
Q: दिव्या काकरान किस जाति से संबंध रखती हैं?
Ans: सैन (Barber)
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