बाबा आमटे जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि | Death anniversary of Baba Amte ji.
Death anniversary of Baba Amte ji: महान समाजसेवी, कुष्ट रोगियों की सेवा में अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले, पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित बाबा आम्टे जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।

डॉ॰ मुरलीधर देवीदास आमटे (26 दिसंबर, 1914 – 9 फरवरी, 2008), जो कि बाबा आमटे के नाम से ख्यात हैं, भारत के प्रमुख व सम्मानित समाजसेवी थे। समाज से परित्यक्त लोगों और कुष्ठ रोगियों के लिये उन्होंने अनेक आश्रमों और समुदायों की स्थापना की। इनमें चन्द्रपुर, महाराष्ट्र स्थित आनंदवन का नाम प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त आमटे ने अनेक अन्य सामाजिक कार्यों, जिनमें वन्य जीवन संरक्षण तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन प्रमुख हैं, के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया। 9 फ़रवरी 2008 को बाबा का 94 साल की आयु में चन्द्रपुर जिले के वड़ोरा स्थित अपने निवास में निधन हो गया।
F&Q
बाबा आमटे क्यों प्रसिद्ध है?
डॉ॰ मुरलीधर देवीदास आमटे (26 दिसंबर, 1914 – 9 फरवरी, 2008), जो कि बाबा आमटे के नाम से ख्यात हैं, भारत के प्रमुख व सम्मानित समाजसेवी थे। समाज से परित्यक्त लोगों और कुष्ठ रोगियों के लिये उन्होंने अनेक आश्रमों और समुदायों की स्थापना की। इनमें चन्द्रपुर, महाराष्ट्र स्थित आनंदवन का नाम प्रसिद्ध है।
बाबा आमटे के कितने पुत्र थे?
यहां स्थानीय आदिवासियों के विकास के लिए काम किया जाता है. आमटे परिवार की तीसरी पीढ़ी,- बाबा आमटे के पुत्र डॉ. प्रकाश के बेटे अनिकेत और दिगंत, यहां की ज़िम्मेदारी संभालते हैं. अनिकेत कहते हैं, “मानव को सम्मानित जीवन देना बाबा आमटे का मूल विचार था जो आज भी जारी है
बाबा आमटे का उपनाम क्या है?
मुरलीधर आमटे ने बचपन में ही बाबा का उपनाम हासिल कर लिया था। उन्हे उनके माता-पिता ने बाबा नाम से बुलाया करते थे इसीलिए उन्हे बाबा नाम से जाना जाता था।
आनंदवन की शुरुआत कब और किसने की थी?
उल्लेखनीय है कि ‘आनंदवन’ की स्थापना एक सुशिक्षित और जुनूनी समाजसेवी बाबा आमटे और उनकी पत्नी साधना ताई ने 1949 में वर्धा के पास वरोरा में की थी।
बाबा आमटे आश्रम कहां है?
1949 में, बाबा आम्टे ने नागपुर से लगभग 125 किलोमीटर दूर चंद्रपुर जिले में आनंदवन की स्थापना की।