Bankey Bihari Ji Temple Vrindavan | बांके बिहारी मंदिर में बार-बार क्यों होता है पर्दा? | बड़ी रोचक है इसके पीछे की ये कथा

Bankey Bihari Ji Temple Vrindavan | बांके बिहारी मंदिर में बार-बार क्यों होता है पर्दा? | बड़ी रोचक है इसके पीछे की ये कथा: यूपी के वृंदावन (Vrindavan) में कई प्रसिद्ध मंदिर है. यहां का बांके बिहारी मंदिर विश्व प्रसिद्ध है. ऐसी मान्यता है जो भक्त बांके बिहारी के दर्शन करता है वह उन्हीं का हो जाता है. इस मंदिर में बार-बार ठाकुर जी के आगे पर्दा किया जाता है, ऐसा क्यों होता है आइए आपको बताते हैं इसकी वजह.

वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर ऐतिहासिक और चमत्कारों से भरा है. यहां पर भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की मूर्ति को बार-बार पर्दा किया जाता है. भगवान कृष्ण की लीलाओं से ओतप्रोत मथुरा के वृंदावन स्थित इस मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु आते हैं. वृंदावन के कण-कण में भगवान श्री कृष्ण का वास माना जाता है. वृंदावन की गलियों में भगवान कृष्ण ने लीलाएं की थीं. आइए जानें बांके बिहारी मंदिर का क्या इतिहास है और बांके बिहारी जी कैसे प्रकट हुए थे और उनकी मूर्ति के आगे बार-बार पर्दा क्यों डाला जाता है?

बार-बार पर्दा लगाने की कथा

आप अगर बांके बिहारी के मंदिर गए होंगे तो आपने देखा होगा कि भगवान की प्रतिमा के आगे बार-बार पर्दा डाला जाता है. यानी उनके दर्शन लगातार नहीं बल्कि टुकड़ों में कराये जाते हैं. एक कथा के अनुसार, आज से 400 साल पहले तक बांके बिहारी के मंदिर के आगे पर्दा डालने की प्रथा नहीं थी. भक्त जितनी देर तक चाहे उतनी देर तक मंदिर में रुक सकते थे और ठाकुर जी के दर्शन कर सकते थे. एक बार एक भक्त बांके बिहारी के दर्शन के लिए श्रीधाम वृंदावन आए. तब वह लगातार टकटकी लगाकर भगवान बांके बिहारी जी की मूर्ति को निहारने लगे. उस दौरान भगवान उस भक्त के प्रेम में वशीभूत होकर उनके साथ ही चल दिए. जब पंडित जी ने मंदिर में देखा कि भगवान कृष्ण की मूर्ति नहीं है तो उन्होंने भगवान से बड़ी मनुहार की और वापस मंदिर में चलने को कहा और तभी से हर 2 मिनट के अंतराल पर ठाकुर जी के सम्मुख पर्दा डालने की परंपरा की शुरुआत हो गई.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.)

F&Q

बांके बिहारी मंदिर में पर्दा क्यों बंद है?

It is believed that the brilliant eyes of the idol will make you unconscious if seen for too long a stretch , so the curtains are closed frequently. आरती के लिए कोई घंटियाँ नहीं हैं, क्योंकि इससे बच्चे को परेशानी हो सकती है।

बांके बिहारी की उम्र कितनी है?

वर्ष 1864 में निर्मित , मंदिर श्री राधा वल्लभ मंदिर के पास स्थित है। भगवान कृष्ण को समर्पित, यह वृंदावन में सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में गिना जाता है। बांके बिहारी के नाम पर, बांके शब्द का अर्थ है ‘तीन कोणों पर झुकना’ और बिहारी का अर्थ है ‘सर्वोच्च भोगी’।

बांके बिहारी मंदिर में ऐसा क्या खास है?

यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां सुबह कृष्ण को जगाने के लिए जोर से मंदिर की घंटियों का उपयोग नहीं किया जाता है। बच्चे को शुरुआत से जगाना अनुचित माना जाता है। उसे धीरे से जगाया जाता है। इस प्रकार आरती के लिए भी कोई घंटियाँ नहीं हैं, क्योंकि यह उन्हें परेशान कर सकती है।

बांके बिहारी कौन सा भगवान है?

बांके बिहारी जी की मूल रूप से निधिवन में पूजा की जाती थी। बांके का अर्थ है “तीन स्थानों पर झुका हुआ” और बिहारी का अर्थ है “सर्वोच्च आनंद लेने वाला।” भगवान कृष्ण की छवि त्रिभंग मुद्रा में खड़ी है। हरिदास स्वामी ने मूल रूप से कुंज-बिहारी (“झीलों के भोगी”) के नाम से इस भक्तिपूर्ण छवि की पूजा की।

बांके बिहारी जी कैसे प्रकट हुए?

भगवान श्री कृष्ण ने स्वामी हरिदास की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और निधिवन में काले रंग की पत्थर की मूर्ति के रूप में प्रकट हुए. कुछ दिन तो स्वामी हरिदास ने निधिवन में ही बांके बिहारी की पूजा की. उसके बाद अपने परिजनों की सहायता से बांके बिहारी मंदिर का निर्माण करवाया.

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  • Web Title: Bankey Bihari Ji Temple Vrindavan | Why is there a curtain again and again in the Banke Bihari temple? , The story behind it is very interesting

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